रविवार, 18 मार्च 2018

Vadvanal - 18




गॉडफ्रे मुम्बई में आया है इस बात का सैनिकों को पता चला तो वे मन ही मन खुश हो गए ।
‘‘ब्रिटिश सरकार को हमारे विद्रोह के परिणामों का ज्ञान होने के कारण ही उन्होंने नौसेना दल के सर्वोच्च अधिकारी को मुम्बई भेजा होगा ।’’  पाण्डे ने अपना अनुमान व्यक्त किया ।
‘‘गॉडफ्रे हमारे विद्रोह को  दबाने आया होगा। हम अपनी माँगें उसके सामने पेश करके उन्हें जल्दी से जल्दी पूरा करने की माँग कर सकते हैं। इसके लिए एक प्रतिनिधि मण्डल भेजा जाए।’’  मदन ने सुझाव दिया ।
‘‘क्या बिना बुलाए गॉडफ्रे के पास जाना उचित होगा? हम ऐसे अचानक चले गए तो  क्या गॉडफ्रे हमसे मिलेगा ?’’    गुरु को शक था ।
‘‘हम सरकार से बातचीत करने के लिए तैयार थे,  मगर सरकार ने उचित प्रतिक्रिया नहीं दी,  ऐसा हम ज़ोर देकर कह सकेंगे।’’ दत्त ने प्रतिनिधि मण्डल भेजने के पीछे की भूमिका स्पष्ट की ।
‘‘प्रतिनिधि गॉडफ्रे को सिर्फ माँगपत्र देंगे। बातचीत नहीं करेंगे।’’  चट्टोपाध्याय ने कहा ।
‘‘मतलब यह कि वे सिर्फ माँगें प्रस्तुत करेंगे। गॉडफ्रे या सरकार अगर बातचीत करना चाहें तो वे सेंट्रल कमेटी से सम्पर्क करें,  बस इतना ही सन्देश देना है।’’  खान ने स्पष्ट किया ।
‘‘यदि प्रतिनिधियों को गिरफ्तार कर लिया गया तो ?’’   पाण्डे ने सन्देह व्यक्त किया ।
‘‘अब वैसा करने की उनकी हिम्मत नहीं है। यदि उन्होंने ये ग़लती की तो पन्द्रह हज़ार सैनिक फ्लैग ऑफिसर, बॉम्बे के कार्यालय पर हमला बोल देंगे ।’’  चट्टोपाध्याय ललकारते हुए बोला।



पटेल ने सैनिकों के प्रतिनिधियों का ठण्डा स्वागत किया। प्रतिनिधियों ने अपना परिचय दिया।  
 ‘‘बोलिये,  क्या काम है?’’  पटेल ने रूखी आवाज़ में पूछा ।
‘‘दिनांक 18 से तलवार  में No food, No work  का निर्णय लिया गया और उसे मुम्बई, कलकत्ता, जामनगर इत्यादि स्थानों के सैनिकों ने समर्थन दिया है। 19 तारीख को हमने मुम्बई में जुलूस निकाला था...’’
18 तारीख से जो कुछ भी हुआ उसका विवरण देने वाले मदन को बीच ही में रोकते हुए पटेल ने शान्त स्वर में कहा,  ‘‘जो कुछ हुआ वह सब मुझे मालूम है। तुम लोगों को कांग्रेस का समर्थन चाहिए यह भी मुझे मालूम है। मगर वर्तमान परिस्थिति में कांग्रेस तुम्हें समर्थन नहीं देगी । मैंने कांग्रेस के अध्यक्ष से बात की है,  उनकी भी यही राय है ।’’
‘‘मगर ऐसा क्यों?   हमारा संघर्ष भी स्वतन्त्रता के लिए ही है!’’   चट्टोपाध्याय ने पूछा ।
कुछ नाराज़गी से पटेल ने चट्टोपाध्याय की ओर देखा और पलभर रुककर बोले,  ‘‘स्वतन्त्रता की नौका जल्दी ही किनारे से लगने वाली है और ऐसी स्थिति में हम सरकार से कोई संघर्ष नहीं चाहते। वर्तमान सरकार एक कामचलाऊ सरकार है। इस सरकार का विरोध करने का कोई तुक नहीं है ।’’
पटेल से मिलने गए प्रतिनिधियों को सरदार की इस राय का अन्दाज़ा तो था; बस वे यह जानना चाहते थे कि हिन्दुस्तान का लौहपुरुष संघर्ष को समर्थन क्यों नहीं देना चाहता। यदि सम्भव होता हो तो वे उसका हृदयपरिवर्तन करने की कोशिश  करना चाहते थे।
‘‘हमारा यह संघर्ष अहिंसक है। सरकार जिस तरह से प्रचार कर रही है,  वैसा वह स्वार्थप्रेरित नहीं है। हमारे संघर्ष की प्रेरणा एवं दिशा स्वतन्त्रता ही है...’’
चट्टोपाध्याय थोड़ा गरम हो गया था ।
‘‘चाहे जो भी हो,  हम तुम्हारा साथ नहीं देंगे।’’  पटेल ने भी ऊँची आवाज़ में कहा,  ‘‘तुम लोगों ने कांग्रेस से विचारविमर्श किये बिना,  कांग्रेस की सलाह न लेते हुए अपना संघर्ष शुरू किया है,  इसलिए अब तुम्हीं इससे निपटो ।’’
‘‘राष्ट्रीय  नेताओं  और  पार्टियों  का  समर्थन  हमें  मिलेगा  इस  आशा  से  हमने यह संघर्ष शुरू किया था।  अब संघर्ष शुरू हो चुका है;  इसे समर्थन देते हुए लगभग पन्द्रह हज़ार सैनिक शामिल हो चुके हैं । आज हमने मुम्बई के नौसेना दल पर कब्ज़ा कर लिया है । ऐसी स्थिति में यदि आपने हमें अकेला छोड़ दिया तो हम क्या करेंगे?’’  यादव के स्वर में प्रार्थना थी ।
पटेल के मुख पर अब मुस्कराहट छा गई। उन्हें लगा कि सैनिक उसी मोड़ पर आ गए हैं जहाँ वे चाहते थे। उन्होंने पलभर सोचने के बाद सैनिकों को सलाह दी:
‘‘देश की और सभी की भलाई की दृष्टि से मेरी यह सलाह है कि तुम लोग बिना शर्त काम पर वापस लौट जाओ।‘’
‘‘आपकी सलाह के लिए धन्यवाद,   मगर हम इस सलाह को नहीं मान सकते ।’’   मदन ने नम्रता से कहा और वे चारों बाहर आ गए ।



‘‘स्वतन्त्रता के लिए लड़ने की जागीर क्या सिर्फ कांग्रेस को ही दी गई है क्या ?  कहते हैं,  हमें क्यों नहीं पूछा ?’’    चट्टोपाध्याय चिढ़ गया था ।
‘‘क्रान्तिकारी भगतसिंह,  राजगुरु, मदनलाल धिंग्रा ये सब, और आज़ाद हिन्द सेना के सैनिक,  कहते हैं,  राह भटके मुसाफिर हैं। उनका पक्ष कांग्रेस लेगी नहीं। अरे,  फिर स्वामी परमानन्द के खूनी को माफ़ किया जाए इसलिये महात्माजी ने वाइसरॉय  को  पत्र  क्यों  लिखा  था ?’’  यादव चीखे जा रहा था ।  ‘‘मत दो हमारा साथ। हम अकेले ही लड़ेंगे। ज़्यादा से ज़्यादा क्या होगा?   हमें अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा,  बस यही ना?   हैं हम तैयार!’’



‘‘सर,  कैसल बैरेक्स के कमाण्डिंग ऑफिसर का फ़ोन आया था ।’’  आराम फ़रमा रहे गॉडफ्रे को रॉटरे ने बताया, ‘‘कैसल बैरेक्स में सैनिक बड़ी संख्या में पहुँच रहे  हैं । उन्हें रोकना होगा,   वरना परिस्थिति बिगड़ सकती है। कोई उपाय योजना करना आवश्यक है,  ऐसा वे कह रहे हैं ।’’
‘‘परिस्थिति अनुकूल हो रही है । सैनिकों को  अपनेअपने जहाज़ और बेस  पर लौटने का आदेश दो । यदि सुनें नहीं तो ट्रक में भरो और पहुँचाओ।  जनरल बिअर्ड को बुला लो । गॉडफ्रे ने आदेश दिया ।
ले.  ब्रिटो शीघ्रता से अन्दर आया ।
''Yes Lt?'' उसका सैल्यूट स्वीकार करते हुए गॉडफ्रे ने पूछा ।
‘‘सर,  सैनिकों के प्रतिनिधि आपसे मिलना चाहते हैं। उनका फोन आया था, ‘’ ब्रिटो ने कहा ।
''Oh, that's good.'' खुशी से गॉडफ्रे ने कहा,  ‘’Let the bastards come, I shall deal with them.''
खान,   बैनर्जी,   कुट्टी और असलम को फॉब हाउस   के पहरेदार ने गेट पर ही रोका। 
''Hey; you Indians, किदड़ जाटा है। This is not a fish market.'' वह चिल्लाया ।
खान को पहरेदार पर गुस्सा आ गया ।
‘‘इस तरह हमें खदेड़ने के लिए क्या हम रास्ते के भिखारी हैं या आवारा कुत्ते?’’  कुट्टी का  पारा चढ़ गया ।
‘‘में गॉडफ्रे से मिलना है।’’  खान ने कहा ।
‘‘क्या मुलाकात पहले से तय है?’’   पहरेदार ने पूछा ।
‘‘नहीं ।’’
‘‘फिर नामुमकिन है ।’’  निर्विकार उत्तर आया ।
गॉडफ्रे समस्या सुलझाने के लिए उत्सुक होगा;  हमारे जाते ही वह हमसे मिलेगा; बातचीत का प्रस्ताव रखेगा – ऐसा खान को छोड़कर बाकी सबका ख़याल था,  इसीलिए उन्होंने फ़ोन करके गॉडफ्रे को मुलाकात के बारे में कल्पना दी थी,  थोड़ीबहुत मिन्नत करने के बाद पहरेदार ने गॉडफ्रे को सूचना दी कि सैनिक मिलना चाहते हैं।
सैनिकों के प्रतिनिधि गेट पर खड़े हैं यह मालूम होते ही वह खुश हो गया । ‘‘इन सैनिकों को कुछ देर लटकाए रखकर अपने काम निपटाने चाहिए।’’  वह पुटपुटाया। उसने एक घण्टे बाद प्रतिनिधियों से मिलने का निश्चय किया। पहरेदार द्वारा प्रतिनिधियों को सूचित किया गया।



गॉडफ्रे को जनरल बिअर्ड की बहुत देर तक राह नहीं देखनी पड़ी। बिअर्ड के पहुँचते ही वह सीधे विषय पर आ गया।
‘‘कैसेल बैरेक्स और मुम्बई के एकदो अन्य नौसेना तलों पर पहरा लगाना आवश्यक है। तुम्हारे पास कितने सैनिक हैं?’’  गॉडफ्रे ने पूछा ।
‘‘मराठा बटालियन्स पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। इसके अलाव आसपास के भूदल बेसेस से अतिरिक्त फौज भी आ रही है। ।’’    बिअर्ड ने जवाब दिया ।
‘‘पहरा लगाने से पहले हम नौसैनिकों को अपनेअपने जहाज़  और बेसपर लौटने की अपील कर रहे हैं। यदि वे सीधे तौर से नहीं आए तो उन्हें सख्ती से ले जाने के लिए भी भूदल सैनिकों की ज़रूरत होगी और जहाँ तक सम्भव हो ब्रिटिश रेजिमेंट के सैनिक हों ।’’  गॉडफ्रे ने कार्रवाई की दिशा को स्पष्ट करते हुए आवश्यकताओं के बारे में बताया।
‘‘ठीक है। इसके लिए पर्याप्त सैनिक और ट्रक मिल जाएँगे। मगर यह कार्रवाई शुरू कब करनी है?’’   बिअर्ड ने पूछा।
‘‘हम यह कार्रवाई फ़ौरन शुरू कर रहे हैं, ‘’ गॉडफ्रे ने जवाब दिया।
‘‘ठीक है। मैं तैयारी करता हूँ। एक घण्टे में ट्रक उपलब्ध हो जाएँगे और दिन के तीन बजे भूदल सैनिकों का पहरा बिठा दिया जाएगा।’’  बिअर्ड ने गॉडफ्रे को आश्वासन दिया और वह बाहर निकला।
सब कुछ गॉडफ्रे की अपेक्षा के अनुसार हो रहा था। उसने रॉटरे को बुलाकर सैनिकों से अपनीअपनी बेसपर लौटने की अपील करने को कहा।



गॉडफ्रे ने सैनिकों के प्रतिनिधियों को मिलने के लिए बुलाया । चर्चा करते समय सैनिकों के मनोधैर्य का अनुमान लगाना है,  और उसके बाद ही अगली व्यूह रचना तैयार करनी होगी। वह सोच रहा था। प्रतिक्रिया आज़माते हुए कार्रवाई की तीव्रता बढ़ानी होगी। उसने निश्चय किया ।  उसने जानबूझकर सैनिकों के प्रतिनिधियों को कॉन्फ्रेन्स हॉल में बैठाने की आज्ञा दी ।
कॉन्फ्रेन्स हॉल का ठाठ ही निराला था। असली सीसम की गहरी काली,  लम्बी,  नक्काशी वाली मेज़,  मेज़ के चारों ओर फौजी ढंग से लगाई गई कुर्सियाँ, कुर्सियों पर सेमल की रूई की नरमनरम गद्दियाँ,   छत से लटक रहा  विशाल झाड़फानूस उस हॉल की शोभा बढ़ा रहे थे । दीवार पर इंग्लैंड की महारानी की भव्य ऑयल पेन्टिंग लगाई गई थी। सामने वाली दीवार पर लगभग आधी दीवार को ढाँकता हुआ रेशमी यूनियन जैक लगाया गया था। ये दोनों दीवारें मानो उसी हॉल में चर्चा करते हुए लोगों को धमका रही थीं,   यहाँ सिर्फ साम्राज्य और सम्राज्ञी के हितों के बारे में ही चर्चा की जाएगी।   हॉल की भव्यता और वहाँ के वातावरण से प्रतिनिधि कुछ दबाव में आ गए थे ।
मन के क्रोध को चेहरे पर न दिखाते हुए गॉडफ्रे ने हॉल में प्रवेश किया। उसके चेहरे पर मुस्कान थी। तूफ़ान में परिस्थिति का सामना कैसे करना चाहिए और जहाज़ को बन्दरगाह में सुरक्षित किस तरह लौटाना चाहिए इस बात में वह माहिर था। परिस्थिति के अनुसार अचूक निर्णय लेना उसकी विशेषता थी।
''Good noon, boys.’’ अपने मन की थाह न देते हुए गॉडफ्रे ने संवाद साधने का प्रयत्न किया। मेज़ के किनारे रखी एक लम्बीचौड़ी नरम कुर्सी में वह रोब से बैठ गया। गॉडफ्रे के हॉल में आने के बाद उसके सम्मानार्थ कोई भी प्रतिनिधि उठकर खड़ा नहीं हुआ,   इसका उसे गुस्सा आया। उसने मन में निश्चय कर लिया कि इन प्रतिनिधियों को दिखा देगा कि उसकी नज़र में उनके संघर्ष का रत्तीभर भी मोल नहीं है।
‘‘विद्रोह में सम्मिलित पन्द्रह हज़ार सैनिकों का हम प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।’’  खान ने अपना परिचय दिया।   ‘‘हमारी समस्याओं तथा माँगों से आपको अवगत कराने के लिए आए हैं।’’
गॉडफ्रे पलभर चुप रहा। उसने प्रतिनिधियों के मन पर दबाव बढ़ाने का निश्चय किया।
‘‘मैंने तुम्हें बुलाया नहीं था।’’   गॉडफ्रे की आँखों में एक विशेष चमक थी।
‘‘ठीक है। हम आए हैं,  इसका कारण यह है कि आपकी सरकार ने यदि हमारी माँगें मान्य कर लीं तो सब कुछ सामंजस्य से समाप्त हो जाएगा,  यह आपको बताना था ।’’    खान ने शान्ति से उत्तर दिया।
‘‘और यदि ऐसा हुआ नहीं तो परिस्थिति खतरनाक हो जाएगी। और इसकी ज़िम्मेदारी आपकी सरकार पर होगी।’’    कुट्टी चिढ़ गया था।
गॉडफ्रे शान्त था। दोनों एकदूसरे को तौलने की कोशिश कर रहे थे। मगर सैनिकों पर दबाव बढ़ाने की गॉडफ्रे की कोशिश असफ़ल हो गई थी।
‘‘ठीक है । अब जब तुम लोग आ ही गए हो, तो बातचीत कर लेते हैं, ’’ गॉडफ्रे लम्बी छलाँग लगाने के लिए एक कदम पीछे हटा।
‘‘हम बातचीत करने नहीं आए हैं। हम अपना माँगपत्र देने आए हैं।’’  बैनर्जी ने फटकारा ।
बैनर्जी के जवाब पर गॉडफ्रे क्रोधित हो गया। जितना उसने सोचा था उतना आसान नहीं था यह मामला।
' Bastards, साले। छाछ माँगने आए हैं और कटोरा छिपा रहे हैं। ठीक है। मैं ही बोलने पर मजबूर करूँगा तुम्हें.  वह अपने आप से पुटपुटाया ।
‘‘ठीक है । मत करो बातचीत, मगर माँगपत्र तो दोगे ना ?’’ उसने हँसते हुए पूछा।
असलम ने माँगपत्र गॉडफ्रे के हाथ में दिया। गॉडफ्रे ने सरसरी नज़र दौड़ाई और शान्त आवाज़ में बोला,  ''well, सब तो नहीं, मगर काफ़ी माँगों पर हम चर्चा कर सकते हैं और मार्ग निकाल सकते हैं।’’
प्रतिनिधि खुश हो गए ।
‘‘मगर इसके लिए स्थिति सामान्य हो जानी चाहिए।’’  गॉडफ्रे ने शर्तें लादना शुरू कर दिया।
 ‘‘मतलब,’’    खान ने पूछा ।
‘‘इस प्रश्न को सामंजस्य से सुलझाने की तुम्हारी इच्छा की मैं तारीफ़ करता हूँ।  मेरी भी यही इच्छा है।  हम यह सामंजस्य से ही मिटाएँगे। मगर इसके लिए यह ज़रूरी है कि सैनिक अपनेअपने जहाज़ों पर और बेसेसपर तुरन्त वापस चले जाएँ।’’
‘‘यह सम्भव नहीं है।’’   खान ने जवाब दिया।
‘‘तो फिर मुझे डर है कि यह सामंजस्य से नहीं मिटेगा।’’  गॉडफ्रे ने जवाब दिया और वह तड़ाक् से उठकर निकल गया ।



‘‘कल से हम गलतियाँ ही किये जा रहे हैं, ’’   खान के स्वर में उद्विग्नता थी। ‘‘हमने राष्ट्रीय पार्टियों के,  विशेषत: कांग्रेस के नेताओं पर भरोसा किया और उनसे नेतृत्व करने की गुज़ारिश की - यह पहली ग़लती थी;  और आज गॉडफ़्रे से  मिले यह दूसरी गलती थी।’’
‘‘असल में अंग्रेज़ हमसे चर्चा करने के लिए मजबूर हो जाएँ ऐसी परिस्थिति हमें बनानी चाहिए थी,’’   कुट्टी ने कहा।
कुट्टी का विचार सबको सही प्रतीत हुआ ।
‘‘यदि कांग्रेस अथवा किसी अन्य राष्ट्रीय दल का समर्थन नहीं मिला तो,  ऐसा लगता है कि सरकार हमारे विद्रोह को शस्त्रों के बल पर कुचल डालेगी ।’’
खान भविष्य के बारे में आशंकित था।



तलवार  में इकट्ठा हुए सैनिक पटेल और गॉडफ्रे से मिलने गए प्रतिनिधियों की राह देख रहे थे। गॉडफ्रे से मिलने गए प्रतिनिधि जब तलवारपर लौटे तो सैनिकों ने उन्हें घेर लिया। हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक था कि हुआ क्या है।
‘‘दोस्तो! हम गॉडफ्रे से मिले। कोई आशाजनक बात तो नहीं हुई। मौजूदा हालात में क्या करना चाहिए यह निश्चित करने के लिए हमने सेंट्रल कमेटी की बैठक बुलाई है। हमें थोड़ा समय दो । घण्टेभर में हम तुम्हें लाइन ऑफ एक्शन देंगे,’’   खान ने समझाया ।



खान ने गॉडफ्रे से हुई बातों का वृ़त्तान्त पेश किया। सेंट्रल कमेटी के सदस्य बेचैन हो गए।
‘‘सैनिकों के अपनेअपने जहाज़ों पर लौट जाने की शर्त हम स्वीकार नहीं करेंगे। इसका सीधासीधा मतलब है - पीछे हटना, ’’   अकबर   के रामलाल ने विरोध किया।
‘‘हमारा लड़ने का इरादा है। हम लड़ेंगे - बिलकुल आख़िरी साँस तक लड़ेंगे, ’’  तलवार  के सूरज का जोश अचानक प्रकट हुआ।
खान ने सबको शान्त किया और वह ऊँची आवाज़ में कहने लगा,  ‘‘हमने गॉडफ्रे की किसी भी शर्त को स्वीकार नहीं किया है । यदि हम यह समझने की कोशिश करें कि गॉडफ्रे यह शर्त क्यों लादना चाहता है तो हमें उसकी चाल का पता लग जाएगा और हम अपनी व्यूह रचना निश्चित कर सकेंगे।’’
‘‘सैनिकों को उनके जहाज़ों और तलों पर भेजकर उन्हें विभाजित करने की यह कोशिश है, ’’  यादव ने स्पष्ट किया। ‘‘हम विभजित हो गए तो हमारी ताकत कम हो जाएगी;  और फिर जहाँ सैनिक कम हैं,  ऐसे जहाज़ों का विद्रोह कुचल देने का उसका विचार होगा,   बल्कि उसने ऐसी योजना भी बना ली होगी ।’’
‘‘यादव के अनुमान से मैं सहमत हूँ,’’  मदन  ने  कहा।  ‘‘गॉडफ्रे  विद्रोह को कुचलने के लिए  क्याक्या कर सकता है;  इन सारी सम्भावनाओं को ध्यान में रखकर हमें निर्णय लेने होंगे और इन निर्णयों से हमारी एकता न टूटे इसका ध्यान रखना होगा ।’’
सैनिक अपनेअपने जहाजों पर लौटें या नहीं, इस प्रश्न पर चर्चा आरम्भ हुई। अधिकांश सदस्यों ने मदन की राय का समर्थन किया।
गुरु ये सारी चर्चा शान्ति से सुन रहा था । उसके मन में अलग ही विचार उठ रहे थे। ‘‘भावना के वश न होकर हम निर्णय लें ऐसा मेरा ख़याल है। हम वस्तुस्थिति पर गौर करें।’’   गुरु पलभर को रुका,   उसने सदस्यों की टोह ली। सब शान्त हो गए थे। ‘‘हमारे प्रतिनिधि सरदार पटेल से मिले। उस प्रतिनिधि मण्डल में मैं भी था । अब यह स्पष्ट हो चुका है कि कांग्रेस अथवा उसके नेता हमारा साथ नहीं देंगे। हम अकेले पड़ गए हैं। कांग्रेस सरकार से सम्बन्ध बिगाड़ना नहीं चाहती इसलिए वह हमारा विरोध कर रही है। कांग्रेस के नेता सरकारी समाचारों और अधिकारियों पर विश्वास रखे हुए हैं। अब हमें सिर्फ एकदूसरे का साथ है। गॉडफ्रे ने हमें विभाजित करने की ठान ली है। उसकी इस योजना का उपयोग हम अपने लिए किस तरह कर सकते हैं यह देखना चाहिए। समझ लीजिये कि यदि हम सबके सब तलवार  पर या कैसल बैरेक्स में या फोर्ट बैरेक्स में रुके रहे तो हम गॉडफ्रे का काम आसान कर देंगे। इन तीनों तलों को घेर लेने से उसकी समस्या हल हो जाएगी। उसकी सेना बड़े अनुपात में बँटेगी नहीं और उसके लिए हम पर ज़ोरदार हमला करना सम्भव हो जाएगा,  मगर हम जाल में फँस जाएँगे। मेरी राय यह है कि यदि हम अपने जहाज़ों और तलों पर वापस लौट गए तो उसकी सेना बँट जाएगी। हर जहाज़ और बेस  पर मौजूद गोला बारूद तथा शस्त्रों का प्रयोग समय आने पर कर सकेंगे। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह,  कि 19 तारीख से हमारी रसद रोक दी गई है। पानी की सप्लाई भी बन्द है। आज के दिन तलवार पर सिर्फ एक दिन की रसद बाकी है और पानी तो करीबकरीब खतम ही हो गया है। ऐसी परिस्थिति में यदि यहाँ और सैनिक आए तो हम सभी भूखे रहेंगे। ध्यान दो,  यह तो लड़ाई की शुरुआत है। असली लड़ाई तो आगे है और हमें उसे लड़ना है। सेन्ट्रल कमेटी का कार्यालय तलवारमें रहें। सेंट्रल कमेटी सभी जहाज़ों और तलों से सम्पर्क बनाए रखे। हम यदि एकदिल से रहे,  तभी हमारा उद्देश्य सफल होगा,  फिर चाहे शरीर से हम अलगअलग जगहों पर ही क्यों न रहें। सेन्ट्रल कमेटी के आदेशों का यदि हम ईमानदारी से पालन करेंगे तो हममें एकसूत्रता आएगी। भूलो मत,  हमारा अन्तिम लक्ष्य स्वतन्त्रता है। जय हिन्द!’’
हालाँकि गुरु की राय से काफ़ी सैनिक सहमत थे,  फिर भी कुछ लोगों को यह पीछे हटने जैसा प्रतीत हो रहा था। गुरु के सुझाव पर काफी चर्चा हुई और सेन्ट्रल कमेटी ने अपना निर्णय दिया। ‘‘सैनिक अपनेअपने जहाज़ों पर लौट जाएँ। यदि एकाध जहाज़ पर अथवा बेस  पर आक्रमण हुआ तो वे लोग सेन्ट्रल कमेटी से सम्पर्क करें। सेन्ट्रल कमेटी यथोचित निर्देश देगी।’’
निर्वाचित सेंट्रल कमेटी की आज्ञाओं का पालन करने का उन्होंने निश्चय किया। इस आपात्काल में भी वे अनुशासित रहने वाले थे।



घड़ी ने तीन घण्टे बजाए। बिअर्ड ने गॉडफ्रे को ट्रकों और भूदल सैनिकों के तैयार होने की सूचना दी। गॉडफ्रे ने रॉटरे को बुला लिया और उसे आदेश दिये,   ‘‘भूदल की गाड़ियाँ और सैनिक तैयार हैं। एकदो जीप्स पर लाउडस्पीकर लगवाकर रास्तों पर घूमनेफिरने वाले सैनिकों को अपनेअपने जहाज़ों और बेसेस  पर पहुँचने की अपील करो। यदि वे जाने के लिए तैयार न हों तो उन्हें उठाकर गाड़ियों में ठूँस दो और उनके जहाज़ों पर ले जाकर छोड़ दो।’’
‘‘यदि एकाध सैनिक ने गड़बड़ की,  विरोध किया तो क्या उसे गिरफ्तार करूँ ?’’
‘‘नहीं,  बिलकुल नहीं। ऐसी ग़लती न करना। हालाँकि हमारा अन्तिम उद्देश्य इन सैनिकों को चिढ़ाचिढ़ाकर हिंसा के लिए प्रवृत्त करना है,  फिर भी यह सब इस तरह से होना चाहिए कि किसी को कोई शक न हो। इसीलिए सुबह आए हुए प्रतिनिधियों को मैंने गिरफ़्तार नहीं करवाया।’’  गॉडफ्रे ने अपने निर्णय को स्पष्ट करते हुए कहा। 'P.R.O. को भेज दो।’’
P.R.O. अदब से भीतर आया। ''Yes, sir,''  सैल्यूट करते हुए उसने पूछा ।
‘‘अखबारों और रेडियो को भेजने के लिए एक प्रेस रिलीज तैयार करो, ’’ गॉडफ्रे ने कहा ।
P.R.O. नोट्स लेने लगा। गॉडफ्रे ने लिखवाया।
‘‘मंगलवार को शहर में गुंडागर्दी की कई हिंसात्मक घटनाएँ हुर्इं। उन्हें ध्यान में रखते हुए न केवल सामान्य जनता के बल्कि रॉयल इण्डियन नेवी के सैनिकों के भी हित के मद्देनज़र सैनिकों को अपने जहाज़ों और बेसेसपर लौटने की अपील करते हुए लाउडस्पीकर लगी गाड़ियाँ मुम्बई में घूम रही थीं। सैनिकों को दोपहर के साढ़े तीन बजे तक वापस लौटने की मोहलत दी गई थीं। साढ़े तीन बजे के बाद यदि शहर में कोई सैनिक नज़र आया तो उसे गिरफ़्तार कर लिया जाएगा ऐसी सूचना भी दी गई थी।‘’
P.R.O. प्रेस रिलीज़ तैयार करने के लिए बाहर निकला। गॉडफ्रे ने एचिनलेक से सम्पर्क किया और की गई कार्रवाई की रिपोर्ट दी ।
''That's good!''  एचिनलेक की आवाज़ की प्रसन्नता गॉडफ्रे से छिपी न रह सकी ।
दोनों खुश थे। परिस्थिति के सारे सूत्र धीरेधीरे उनके हाथों में आ रहे थे। यह लड़ाई वे जीतने वाले थे। साम्राज्य पर छाया संकट दूर होने वाला था। अंग्रेज़ों को यदि हिन्दुस्तान छोड़ना भी पड़ा तो वे उसे उनकी अपनी शर्तों पर छोड़ने वाले थे,  अपमानित होकर नहीं।
नौसैनिक करीब पौने चार बजे अपनेअपने जहाज़ों पर लौट गए और चार बजे नौसेना दल पर पहरे बिठा दिए गए।   गॉडफ्रे सैनिकों का बाहरी दुनिया से सम्पर्क तोड़ने में कामयाब हो गया था। गॉडफ्रे अपने नियत कार्यक्रम के अनुसार ही चल रहा था। हालाँकि सैनिकों को बन्द करने में उसे सफ़लता मिल गई थी फिर भी वह बेचैन था।



''Good noon, Sir. लगभग सभी सैनिक अपनेअपने जहाज़ों और बेसेस  पर चले गए हैं,  और ख़ास बात यह हुई कि उनमें से किसी ने भी विरोध नहीं किया।’’
‘‘कितने सैनिकों को जहाज़ों और बेसेस पर छोड़ा गया?’’
‘‘करीब आठ हजार।’’
‘‘मुम्बई में सैनिकों की संख्या है करीब बीस हज़ार। इनमें से आठ हज़ार हमने वापस भेज दिए।  अब शहर में कितने सैनिक हैं ?’’    गॉडफ्रे ने पूछा।
‘‘ठीकठीक संख्या बताना कठिन है।’’
‘‘इन सैनिकों ने यदि शहर में गड़बड़ की तो?’’  गॉडफ्रे ने चिन्तायुक्त स्वर में पूछा।
‘‘सैनिक अपनी मर्ज़ी से लौटे हैं, इसका मतलब उन्होंने जवाबी हमले की योजना बनाई होगी ।’’
‘‘मैं ऐसा नहीं सोचता।’’   रॉटरे ने कहा।
‘‘हमने,   हालाँकि बेसेस  को घेर लिया है फिर भी हमारा उन पर नियन्त्रण नहीं है; वहाँ विद्रोहियों का नियन्त्रण है। बेसेसपर गोलाबारूद और हथियारों का जख़ीरा उनके हाथों में है। वे उनका इस्तेमाल कर सकते हैं। फिर जहाज़ों पर भी हमारा नियन्त्रण नहीं है,  और वैसा करना भी हमारे लिए कठिन है।’’ गॉडफ्रे ने अपनी चिन्ता जताई।



सेन्ट्रल कमेटी के सदस्य अभी तलवार  पर ही थे। तलवार  के चारों ओर भूदल के सैनिकों का पहरा बिठा दिया गया था। अन्य बेसेसपर भी भूदल के पहरों के बारे में सन्देश आने लगे थे। इन बेसेस  के सैनिक अस्वस्थ थे।
‘‘भूदल नाविक तलों का घेरा डालने वाले हैं यह तुम्हें मालूम नहीं था?’’  चाँद ने पूछा ।
‘‘गॉडफ्रे ने भूदल सैनिकों के पहरे के बारे में कुछ भी नहीं कहा था। यदि उसने इस ओर हल्कासा भी इशारा कर दिया होता तो हम उसका कड़ा विरोध करते। हम अपनी आज़ादी कभी भी न गँवाते।’’   खान तिलमिलाहट से बोल रहा था। मानो उसके साथियों ने उस पर अविश्वास दिखाया था।
‘‘चाँद ने जो प्रश्न पूछा वह तुम पर या गॉडफ्रे से मिलने गए प्रतिनिधियों पर अविश्वास व्यक्त करने के लिए नहीं था,  बल्कि इसलिए किया था कि यदि हमारे हाथ से  कोई गलतियाँ हो गई हों तो उन्हें कैसे सुधारा जाए।’’ चट्टोपाध्याय ने स्पष्ट किया।
‘‘ठीक है। मेरी किसी के भी ख़िलाफ कोई शिकायत नहीं है। अब,  इस परिस्थिति में हमें कौनसा कदम उठाना है यह तय करना होगा।’’  शान्त स्वर में खान ने जवाब दिया।
‘‘दत्त,  तुम्हारी क्या राय है?’’  गुरु ने पूछा। दत्त,  हालाँकि सेंट्रल कमेटी का सदस्य नहीं था,  फिर भी उसकी सलाह सभी सदस्य समयसमय पर लिया करते थे।
‘‘कारण चाहे जो भी हो,  सैनिक अपनेअपने जहाज़ों और नाविक तलों पर वापस लौट गए हैं;  मतलब,  गॉडफ्रे की शर्त हमने पूरी कर दी है। हमारा पक्ष अधिक मज़बूत हो गया है;  इससे समझदारी और सामंजस्य से यह सब समाप्त करने की तीव्र इच्छा प्रकट होती है। हमारे इस निर्णय से हमें जनता की सहानुभूति प्राप्त करना आसान होगा। इस सन्दर्भ में हमारी भूमिका और लिए गए निर्णयों के बारे में अख़बारों को रिपोर्ट भेजी जानी चाहिए। यह सब जनता तक पहुँचना चाहिए,  उसे पता चलना चाहिए। गॉडफ्रे से मिलकर भूदल सैनिकों का पहरा तत्काल उठाने की माँग करनी चाहिए। उसके द्वारा उठाए गए गलत कदम से सैनिक चिढ़ गए हैं। यदि परिस्थिति बदतर हो गई तो इसके लिए गॉडफ्रे और उसकी सरकार ही ज़िम्मेदार होगी यह भी साफ़साफ़ कह देना चाहिए।’’  दत्त ने सुझाव दिया।
मदन,  दत्त और गुरु रिपोर्ट का मसौदा तैयार करने में लग गए और बैनर्जी, कुट्टी, असलम और खान गॉडफ्रे से मिलने के लिए निकले ।
‘‘नौदलविद्रोह की सेंट्रल कमेटी को यह ज्ञात हुआ है कि,”  मदन रिपोर्ट का प्रारूप पढ़कर सुना रहा था,  ‘‘सरकार ने मुम्बई के प्रमुख नाविक तलों पर सशस्त्र भूदल सैनिकों का घेरा डलवा दिया है। आज तक शान्त और संयमित सैनिकों के विरुद्ध सरकार की इस हरकत से विद्रोह में शामिल सैनिक अस्वस्थ हो गए हैं। कमेटी इस कार्रवाई को अनावश्यक मानती है। सैनिकों के मन में यह भय निर्माण हो गया है कि सरकार सैनिकों को औरों से अलगथलग करके इस विद्रोह को शस्त्रों के बल पर कुचल देना चाहती है। पिछले दो दिनों से सरकार ने जहाज़ों और नाविक तलों को खानेपीने की रसद बन्द कर दी है। 18 तारीख से पानी की सप्लाई भी रोक दी गई है। सरकार द्वारा की गई नाकेबन्दी के कारण अब सैनिक बाहर से भी खाना और पानी प्राप्त नहीं कर सकते।
‘‘सेन्ट्रल कमेटी सरकार पर दबाव डालकर सशस्त्र घेराबन्दी को उठवाने के सभी प्रयत्न कर रही है। कमेटी ने सैनिकों से अपील की है कि सभी सैनिक पूरी तरह से शान्ति बनाए रखें,  और एकता बनाए रखें,  भावनावश होकर किसी  भी प्रकार का हिंसात्मक व्यवहार न करें। परिस्थिति कितनी भी विकट क्यों न हो जाए, हमारा आज तक का अहिंसा का मार्ग और अनुशासन न छोड़ें।’’



खान के साथ गए साथियों को गॉडफ्रे से मिलने के लिए इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। गॉडफ्रे उनकी राह ही देख रहा था। उसे उनका आगमन अपेक्षित था।
उसने प्रतिनिधियों को भीतर बुलाया।
‘‘आपकी शर्त के मुताबिक सभी सैनिक अपनेअपने जहाज़ों और नाविक तलों को वापस लौट गए हैं,’’   खान के शब्दों में चिढ़ थी।
‘‘और इसीलिए मैंने तुम्हें अन्दर बुलाया, ’’  गॉडफ्रे की बातों में अब हेकड़ी थी। उसने अपनी अगली चालें निश्चित कर रखी थीं।
‘‘हमारी दोपहर की बातचीत में सशस्त्र घेरे के बारे में कोई बात नहीं हुई थी, ’’   असलम ने कहा।
‘‘गलत कह रहे हैं। वो बातचीत थी ही नहीं,  मैंने तुम्हें बुलाया नहीं था और तुम भी सिर्फ माँगें पेश करने आए थे,” गॉडफ्रे ने मगरूरियत से जवाब दिया।
‘‘मगर सशस्त्र सैनिकों का घेरा...’’
‘‘सरकार क्या कदम उठाए, यह बताने वाले तुम कौन होते हो?’’  गॉडफ्रे ने खान की बात काटते हुए कहा। ‘‘सामान्य जनता की सुरक्षा की दृष्टि से ही सरकार ने यह कदम उठाया है।’’
‘‘मगर हम तो अहिंसक थे और हैं।’’   कुट्टी ने कहा।
‘‘मगर कब हिंसक हो जाओगे, इसका कोई भरोसा नहीं।’’  गॉडफ्रे ने कहा।
‘‘अगर वैसा होता तो हम नाविक तलों पर वापस लौटते ही नहीं, ’’  बैनर्जी बोला।
‘‘तो मैं तुम्हें सख्ती से वापस भेजता,” गॉडफ्रे ने कहा।
‘‘तुम्हारे घेरे से सैनिक चिढ़ गए हैं,”  खान ने कहा ।
‘‘कल की तुम्हारी गुंडागर्दी के कारण यह कदम उठाना पड़ा है। मैं मजबूर था,’’  गॉडफ्रे ने शान्त स्वर में कारण बताया।
‘‘कल हमारे हाथ से अनजाने में एकाध बात हो गई होगी। हमने उसके बदले अफ़सोस ज़ाहिर किया है, ’’   खान ने  अपना पक्ष रखा।
‘‘स्वतन्त्रता की माँग करते हुए हिन्दुस्तान के दुकानदारों को सख़्ती से दुकान बन्द करने पर मजबूर करने या अपने ऊपर चढ़ आए सैनिकों के साथ मारपीट करने में कोई भी गलती नहीं थी या फिर इससे शान्ति को कोई ख़तरा भी नहीं था ’’   कुट्टी ने अपने कार्यों का समर्थन किया।
‘‘कल के हमारे आचरण से नहीं,  बल्कि गोरी पुलिस ने और सैनिकों ने इस देश की जनता पर जो अत्याचार किये हैं,  उनसे जन जीवन को ख़तरा उत्पन्न हो गया है,  उसके बारे में क्या कहते हैं?   हम जलियाँवाले हत्याकाण्ड को भूले नहीं हैं, ’’   बैनर्जी ने चीखते हुए कहा।
''That's enough.'' गॉडफ्रे चिल्लाया। ‘‘हमारे द्वारा उठाए गए  कदम उचित हैं। हम सशस्त्र घेरा वापस नहीं लेंगे।’’
‘‘यदि सशस्त्र सैनिकों का घेरा फ़ौरन नहीं उठाया गया,  तो गुस्साए हुए सैनिक क्या कर बैठेंगे इसका कोई भरोसा नहीं। यह न भूलिए कि आज़ाद शेर की अपेक्षा पिंजरे का शेर अधिक ख़तरनाक होता है। चिढ़े हुए सैनिकों को और अधिक चिढ़ाने में कोई फ़ायदा नहीं। बेकाबू सैनिकों को हम रोक नहीं पाएँगे,  और फिर जो कुछ भी होगा उसकी जिम्मेदार सरकार होगी,   इसलिए हमारी विनती है कि घेरा फ़ौरन उठा लिया जाए।’’   खान ने परिणामों की कल्पना दी। अब तक वह शान्त था।
‘‘मैं इस सुझाव पर विचार नहीं कर सकता। सैनिकों के हितों को ध्यान में रखकर ही हमने नाविक तलों का घेरा डाला है। योग्य समय आने पर घेरा उठा लिया जाएगा।’’   गॉडफ्रे का एकएक शब्द निर्धार से भरा था।
‘‘सैनिकों ने आज तक संयमपूर्वक बर्ताव किया है और घेरा उठाने पर भी वे संयम से ही व्यवहार करेंगे इसकी मैं गारण्टी देता हूँ।’’  खान की शान्ति अभी भी ढली नहीं थी।
गॉडफ्रे की नीली आँखों में छिपी धूर्तता उसके शब्दों से बाहर निकली,   ‘‘घेरा हटाने का निर्णय तो अब आर्मी का जनरल H.Q. ही लेगा। हाँ,  यदि तुम बिना शर्त काम पर लौटने वाले हो तो मैं घेरा उठाने की सिफ़ारिश करूँगा।’’
‘‘यह सम्भव नहीं है!’’   बैनर्जी और कुट्टी चीखे।
‘‘आप हमारी सारी माँगें मान्य करें। हम फ़ौरन काम पर लौट आएँगे।’’ खान ने उसे पेच में डाल दिया।
गॉडफ्रे ने पलभर को सोचा,   ‘‘तुम्हारी सेवा सम्बन्धी माँगों पर मैं विचार करूँगा,  मगर राजनीतिक माँगें...सॉरी! मुझे इसका अधिकार नहीं है।’’  गॉडफ्रे अब शान्त आवाज़ में बोल रहा था।
 ‘‘हमारी राजनीतिक माँगें भी सेवा सम्बन्धी माँगों जितनी ही महत्त्वपूर्ण हैं। हम राजनैतिक माँगें छोड़ेंगे नहीं। दोनों तरह की माँगें पूरी होनी चाहिए।’’  खान ने दृढ़ता से कहा।
''I am sorry,  मैं कुछ नहीं कर सकता और तुम लोग ज़िद्दी हो। इससे कोई भी नतीजा निकलने वाला नहीं। मेरी शर्तें मानने के लिए जब तुम तैयार हो जाओ,   तो मिलेंगे।’’   गॉडफ्रे ने मीटिंग खत्म होने का इशारा किया और प्रतिनिधि बाहर निकले।



चिढ़े हुए सैनिक यदि बेकाबू हो गए तो परिस्थिति हाथ से निकल जाएगी।  गॉडफ्रे के मन में सन्देह उठा और वह बेचैन हो गया।
ऐसा हुआ तो सरकार अकेली पड़ जाएगी और फिर...  उसने पाइप सुलगाया,  दो दमदार कश लिये।  कॉन्फ्रेंस हॉल में गर्मी होने लगी इसलिए उसने समुद्र की ओर की एक खिड़की खोल दी।  डॉकयार्ड वार्फ के जहाज़ शान से डोल  रहे थे;  मगर आज उन जहाज़ों पर उसकी हुकूमत नहीं थी,  और उन पर रोज़ फ़हराने वाली यूनियन एनसाइन भी नहीं थी। उसे वह एक अपशगुन लगा और उसने खिड़की बन्द कर दी। अब फूँकफूँककर ही कदम रखना होगा।वह   पुटपुटाया।
मेरी सफ़लता के मार्ग का एक रोड़ा - कांग्रेस और लीग का - दूर हो गया है।  अब रोड़ा है सैनिकों की एकता का। चाहे मैंने उन्हें विभाजित कर दिया है,  मगर मन से तो वे एक ही हैं। उनके मनों को विभाजित करना होगा। मेरी सफ़लता का रथ सैनिकों की फूट के  मार्ग से ही जाएगा।
इसी ख़याल में वह बेचैनी से चक्कर लगाने लगा। उसके मन में एक टेढ़ी चाल रेंग गई। शाम के समाचारपत्र में सरकारी बुलेटिन के साथसाथ सैनिकों द्वारा जारी बुलेटिन भी प्रकाशित हुआ था।  पिछले दो दिनों से जहाज़ों पर खानेपीने के सामान की सप्लाई नहीं हुई है। अनेक सैनिक भूखे हैं।  सैनिकों के बुलेटिन के ये वाक्य उसे याद आए। उसके चेहरे पर मुस्कराहट फैल गई।
यदि इन सैनिकों के सामने अच्छा खाना रखा जाए तो पेट की आग मन की आग को मात दे देगी। आज़ादी की अपेक्षा रोटी अधिक मूल्यवान प्रतीत होगी। खाना लिया जाए या नहीं इस बात को लेकर सैनिकों में गुट बन जाएँगे और मेरा काम आसान हो जाएगा।  वह सोच रहा था। कामयाबी की उम्मीद से उसने रॉटरे को पुकारा।  
रॉटरे अदब से भीतर आया।
‘‘कुर्ला डिपो को फ़ोन करके फ्रेश मिल्क, शक्कर,  ड्रेस्ड चिकन,   आटा,  दाल, टिन्ड फ्रूट्स - जो कुछ भी उपलब्ध हो वे खाद्य पदार्थ पूरी ट्रक भर के फ़ौरन कैसेल बैरेक्स भेजने को कह दो।’’   गॉडफ्रे ने आदेश दिया।
रॉटरे हुक्म की तामील करने के लिए पीछे मुड़ा। गॉडफ्रे ने उसे रोकते हुए कहा, ‘‘और यह देखो कि यह खाद्य सामग्री कैसेल बैरेक्स में पहुँचे, इससे पहले सैनिकों को यह पता चलने दो कि प्रतिनिधियों के साथ हुई चर्चा के फलस्वरूप यह खाद्य सामग्री भेजी गई है। सेंट्रल कमेटी में फूट पड़ गई है ।’’
‘‘मतलब, सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया?  वे काम पर जाने को तैयार हैं?’’  रॉटरे ने उत्सुकता से पूछा।
‘‘वैसा कुछ भी नहीं हुआ है। सैनिक तो अपनी माँगें छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं हैं। यदि उनमें फूट पड़ जाती है तभी हम उन्हें हरा सकते हैं। उनमें फूट पड़े,  इसलिए यह कदम उठाया है।’’   गॉडफ्रे ने जवाब दिया।
रॉटरे आदेशानुसार काम पर लग गया।



खान और अन्य प्रतिनिधि गॉडफ्रे से मिलकर तलवारपर पहुँचे तो सूर्यास्त हो चुका था। कमेटी के अन्य सदस्य बेचैनी से उनकी राह ही देख रहे थे।
‘‘समझौता करने का अधिकार तुम्हें किसने दिया था?   निर्णय लेने से पहले तुम लोगों ने कमेटी के सदस्यों से चर्चा क्यों नहीं की?’’  चट्टोपाध्याय  ने  सवालों की तोप दाग दी।
‘‘अरे,  क्या बकवास कर रहे हो?   कैसा समझौता?   किसने किया समझौता?  हमारा संघर्ष तो चल ही रहा है। अब पीछे नहीं हटना है;  और हमने गॉडफ्रे से यही कहा है।’’   आश्चर्य से विस्मित होते हुए खान ने कहा।
‘‘मतलब,  अभी फॉब हाउस से आया हुआ फ़ोन...’’   पाण्डे पुटपुटाया।
‘‘कैसा फोन?   किसने किया था फ़ोन?’’  कुट्टी ने पूछा।
‘‘ले.  मार्टिन ने, ’’  पाण्डे ने जवाब दिया।
‘‘कौन है यह मार्टिन?   क्या कहा उसने?’’   बैनर्जी ने पूछा।
‘‘फोन मैंने रिसीव किया था,’’  चट्टोपाध्याय ने कहा,  ‘‘उसने फ़ोन पर यह कहा कि समझौता हो गया है,  सैनिक काम पर वापस लौट आएँ। समझौते के अनुसार खाद्य सामग्री से भरा हुआ एक ट्रक कैसेल बैरेक्स में रात के आठ बजे तक भेजा जा रहा है।’’
‘‘हम झुक नहीं रहे हैं, यह देखकर यह चाल चली है क्या?’’  असलम ने कहा। अब उसकी आवाज़ में चिढ़ थी। ‘‘दोस्तो! गॉडफ्रे सशस्त्र घेरा उठाने के लिए तैयार नहीं है। राजनीतिक माँगों को छोड़कर अन्य माँगों के बारे में चर्चा करने के लिए वह तैयार है। हमारी सारी माँगें मान्य करो;  हम काम पर लौट आएँगे - ऐसा हमने उससे साफ़साफ़ कह दिया है,  इसीलिए हममें फूट डालने की कोशिश की जा रही है।’’  खान ने शान्त आवाज़ में कहा।
‘‘सत्याग्रह,  अहिंसा.... ये सब छोड़छाड़कर अब सीधेसीधे हथियार उठा लेना चाहिए,  तभी ये गोरे सीधे लाइन पर आएँगे।’’  क्रोधित होकर चट्टोपाध्याय ने कहा।
''Cool down friend, don't lose your temper.'' खान शान्त था। ‘‘गॉडफ्रे और रॉटरे इसी की राह देख रहे हैं। यदि हम एकाध गोली चला बैठे तो वे तोप के गोलों की बारिश कर देंगे। एकदम Full scale attack कर देंगे। चूँकि पहली शुरुआत हमारी तरफ़ से हुई इसलिए हम सहानुभूति भी खो बैठेंगे!’’
‘‘सारे सैनिकों को सावधान करना होगा,  वरना ग़लतफहमी में कुछ और ही हो जाएगा। सावधानी के तौर पर हम एक सन्देश भेजेंगे।’’   दत्त के सुझाव को सबने मान लिया। खान ने सन्देश तैयार किया:
 सुपरफास्ट – प्रेषक – सेन्ट्रल कमेटी - प्रति - सभी नौदल जहाज़ और बेसेस = विद्रोह में शामिल सैनिकों की एकता भंग करने के इरादे से वरिष्ठ नौदल अधिकारी अफ़वाहें फैला रहे हैं। नौसैनिक सिर्फ डेक सिग्नल स्टेशन से आए सन्देशों पर ही विश्वास करें। अन्य ख़बरों पर विश्वास न करें। तुम सब सेन्ट्रल कमेटी से बँधे हुए हो। सेन्ट्रल कमेटी के आदेश तुम्हें डेक सिग्नलिंग स्टेशन द्वारा प्राप्त होंगे। अगली सूचना मिलने तक शान्त और अहिंसक रहो।
सन्देश डेक सिग्नल स्टेशन को ट्रान्समिशन के लिए भेजा गया और मीटिंग आगे बढ़ी।
‘‘अब तो असल में लड़ाई की शुरुआत हुई है, ’’  असलम ने कहा।
‘‘सम्पूर्ण परिस्थिति पर विचार करके अपनी चाल निश्चित करना ज़रूरी है।’’   दत्त ने सुझाव दिया।
‘‘विभिन्न बन्दरगाहों के तलों के और जहाज़ों के सैनिकों के संघर्ष में शामिल होने की उत्साहजनक ख़बरें तो आ रही हैं,  मगर अन्य दो दलों के सैनिक अभी भी शान्त हैं। 17 फरवरी को हवाईदल की दो यूनिट्स में जो विद्रोह हुआ था उसके बाद तो ऐसा लग रहा था कि उनका विद्रोह ज़ोर पकड़ लेगा, मगर वैसा हुआ नहीं।’’  खान परिस्थिति स्पष्ट कर रहा था।
‘‘   पंजाब  पर पीने के पानी का स्टॉक खत्म हो रहा है। खाद्य सामग्री बिलकुल नहीं बची है। मेरा ख़याल है कि सभी जहाज़ों पर यही हाल है, ’’  चैटर्जी ने जानकारी दी।
‘‘नाविक तलों की परिस्थिति भी इससे भिन्न नहीं है। अनेक सैनिक खाना तो क्या,  एक मग पानी के लिए भी होटल पर निर्भर हैं;  और अब तो भूदल सैनिकों का घेरा पड़ा है,   होटल से खाना भी नहीं ले सकेंगे। यदि परिस्थिति ऐसी ही बनी रही तो सैनिकों का मनोबल घटेगा और उन्हें काबू में रखना कठिन हो जाएगा।’’  गुरु ने  परिस्थिति बतलाई।
‘‘इसी का फ़ायदा लेकर हममें फूट डालने के लिए गॉडफ्रे ने रसद भेजने का निर्णय लिया है। ऐसी स्थिति में क्या हम उन खाद्य पदार्थों को स्वीकार करें?  क्या सिर्फ खाने के लिए और पानी के लिए अपना संघर्ष पीछे लें?’’   खान ने पूछा।
वहाँ उपस्थित सभी पैंतालीस सदस्यों ने विरोध किया,   ‘‘अब पीछे नहीं हटेंगे!’’  उन्होंने चीखकर कहा।
‘‘मेरा विचार है कि हम कैसेल बैरेक्स एवं अन्य जहाजों को सन्देश भेजें कि वे खाद्य पदार्थ स्वीकार न करें। साथ ही सैनिकों को एक निश्चित कार्यक्रम दें।’’   दत्त ने सुझाव दिया और  इस कार्यक्रम पर चर्चा की गई।
बैठक डेढ़ घंटे चली। मदन और गुरु ने सभी जहाज़ों और नाविक तलों के लिए सन्देश तैयार किया:
‘‘अर्जेंट – प्रेषक: सेंट्रल कमेटी – प्रति: नौदल के सभी जहाज़ और तल = परिस्थिति चाहे कितनी ही गम्भीर क्यों न हो फिर भी सप्लाई केन्द्र से लाई गई रसद स्वीकार न करें। यदि खाद्यान्न इस सन्देश के मिलने से पहले पहुँच गए हों,  तो उनका इस्तेमाल न करें। समिति को इस बात की पूरी कल्पना है कि जहाज़ों और तलों पर पीने के पानी और खाद्यान्नों की कमी है। डॉकयार्ड को विनती की है कि जहाज़ों को पानी की सप्लाई की जाए। हमारी असली लड़ाई तो अब शुरू हुई है और सफ़र लम्बा है। हमारी सफ़लता हमारी एकता और परस्पर सहयोग पर निर्भर है। कमेटी द्वारा तैयार किए गए निम्नलिखित पाँच सूत्री कार्यक्रम का सभी पालन करें:
1.       1. यदि सशस्त्र सैनिकों का घेरा उठाया गया तो सेन्ट्रल कमेटी की सूचनाओं की प्रतीक्षा करें।
2.       2. यदि घेरा नहीं उठाया गया तो सभी सैनिक कल दिनांक 21 से सुबह साढ़े सात बजे से भूख हड़ताल शुरू करेंगे ।
3.      3.  इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी प्रकार की हिंसा न हो।
4.       4, भूख हड़ताल सशस्त्र सैनिकों का घेरा उठने तक जारी रहेगी ।
5.       5, अफवाहों पर विश्वास न करें।
सभी सैनिक पूरी तरह से इस पाँच सूत्री कार्यक्रम का पालन करें।’’
कमेटी ने अपने पाँच सूत्री कार्यक्रम की प्रतियाँ गॉडफ्रे और रॉटरे को भेजीं।
सैनिक अभी भी महात्माजी के अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धान्त को छोड़ने को तैयार नहीं थे। उनके द्वारा तैयार किए गए पाँच सूत्री कार्यक्रम पर महात्माजी की चिन्तन प्रणाली का प्रभाव था।



''Bastards! वे सोच रहे हैं कि अहिंसा और सत्याग्रह का अनुसरण करने से उन्हें कांग्रेस और कांग्रेस के नेता अपना लेंगे। मगर वे तो हमारी झूठी बातों में फँसकर कब के हमारी बंसी में अटक गए हैं!’’  पाँच सूत्री कार्यक्रम पढ़कर रॉटरे अपने आप से पुटपुटाया।



जब तलवार में सेंट्रल कमेटी की बैठक चल रही थी उसी समय कैसेल बैरेक्स में एक अलग ही नाटक हो रहा था । गॉडफ्रे ने सैनिकों को अपनेअपने जहाज़ों और तलों पर पहुँचाने के लिए सख़्ती से ट्रक में बिठा दिया था। इन सैनिकों ने अपनेअपने जहाज़ों और तलों के सहीसही नाम न बताते हुए मुम्बई कैसल बैरेक्स, फोर्ट बैरेक्स, ‘तलवारआदि झूठे ही नाम बता दिये। परिणाम यह हुआ कि कैसल बैरेक्स में सैनिकों की संख्या छह हज़ार से ऊपर चली गई। सैनिक झुण्ड बनाबनाकर आगे क्या होने वाला है?  उसका जवाब कैसे देना है?  समय आने पर कौनकौन किसकिस हथियार का प्रयोग करेगा?   मोर्चे कहाँ बाँधना है?  आदि के बारे  में चर्चा कर रहे थे।
‘‘दोस्तो! तुम्हारे लिए मैं एक खुश ख़बरी लाया हूँ । सरकार ने तुम्हें बढ़ी हुई कीमतों पर खाद्य पदार्थों की, दूध की, मांस की, फलों की आपूर्ति करने का निर्णय लिया है। थोड़ी ही देर में सामान से लदा हुआ ट्रक आने वाला है।  चलो,  हम मेन गेट पर उसका स्वागत करें। सरकार तुम्हारी अन्य माँगें भी स्वीकार करने वाली है। तुम्हारा खानेपीने का प्रश्न हल हो गया है। अब यह संघर्ष,  हड़ताल आदि किसलिए?   नौसेना का नाम क्यों बदनाम करना है? अपना संघर्ष वापस ले लो, ’’   सब. ले.  नन्दा चिल्लाते हुए कैसल बैरेक में आया।
‘‘गद्दार है,  साला!’’
‘‘सबक सिखाना चाहिए,  पकड़ो साले को!’’
‘‘नहीं मारने से क्या फायदा! उल्टे हम ही बदनाम हो जाएँगे।‘’
 मारने के लिए भागकर जाने वालों को एकदो सैनिकों ने रोका ।
नन्दा की ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। वह जैसे आया था वैसे ही वापस गया। सैनिकों की अपने संघर्ष के बारे में चर्चा चल ही रही थी।
‘‘सालों,  हाथों में चूड़ियाँ भरो,  चूड़ियाँ!’’  हरिचरण गुस्से से लाल हो रहा था।
‘‘क्यों यार,  चिल्ला क्यों रहा है?’’  धर्मवीर ने पूछा।
‘‘बाहर वो गोरे बन्दर और लोग क्या कह रहे हैं,  रा सुनो!’’  हरिचरण चीखे जा रहा था। ‘‘दम ही नहीं है इन कालों में।  ज़रासी घुड़की दी तो बैठ गए न पैरों में पूँछ दबा के?’’
‘‘सुबह दो कम्युनिस्ट कार्यकर्ता मिले थे,   पूछ रहे थे कि क्या हमने मरी हुई माँ का दूध पिया है ?  अरे, फिर चुप क्यों बैठे हो?  चलो, उठो, विरोध करो, हम साथ हैं तुम्हारे।’’  मणी ने कहा,   वह भी चिढ़ा हुआ था।
‘‘गोरों की ये हिम्मत?   देखते हैं,  आर्मी का पहरा कैसे  नहीं हटाते?’’  धरमवीर की आवाज़ ऊँची हो गई थी। उसने चारों ओर इकट्ठा हुए सैनिकों पर नज़र डाली और चीखा, ‘‘अरे, सिर्फ देख क्या रहे हो?  एक बाप की औलाद हो ना? फिर घेरा कैसे नहीं उठाते ये ही देखेंगे। गधे की... में ठूँसो उस अहिंसा को...असली बीज का जो होगा,  वही मेरे साथ आएगा...’’  और वह गुस्से से दनदनाते हुए बाहर निकला। उसके पीछेपीछे दो सौ सैनिकों का एक झुण्ड भी बाहर निकला।
भीतर से आती चीखपुकार और उसके पीछेपीछे सैनिकों का झुण्ड आता देखकर भूदल के अधिकारी ने कैसेल  बैरेक्स का मेन गेट बन्द कर लिया और गेट से पचास कदम की दूरी पर सशस्त्र सैनिकों की एक टुकड़ी को गोलीबारी के लिए तैयार करके खड़ा किया। 
‘‘सेकण्ड लेफ्टिनेंट क्रो,   तुम जनरल बिअर्ड से सम्पर्क करो और उन्हें परिस्थिति के बारे में बताकर गोलीबारी की इजाजत माँगो!’’   उसने क्रो को दौड़ाया ।
सैनिकों का झुण्ड नारे लगाते हुए और चिल्लाते हुए आगे बढ़ा आ रहा था।
‘‘गेट खोलो! हमें बाहर जाना है!’’   दरवाजे को धक्के मारते हुए सैनिक चिल्ला रहे थे।
‘‘तुम बाहर नहीं जा सकते। वरिष्ठ अधिकारियों ने वैसा आदेश दिया है।’’  भूदल के लेफ्टिनेंट मार्टिन ने कहा।
''We care a hang for the bloody orders.'' हरिचरण चीखा ।
‘‘बेस   में खाना नहीं,   पानी नहीं! हमें खाना खाने के लिए बाहर जाना है। चुपचाप गेट खोल दो।’’   मणी चिल्लाया।
‘‘गेट के बाहर जो खानेपीने की चीज़ों से भरा ट्रक खड़ा है उसे उतरवा लो।’’   मार्टिन ने कहा।
‘‘हमें वह चीज़ें नहीं चाहिए। हमारी कमेटी ने वैसा निर्णय लिया है, ’’ हरिचरण चिल्लाया।
‘‘सैनिकों को पीछे हटाओ और हमें जाने दो।’’   धरमवीर चीखा।
मार्टिन हिला नहीं। सैनिकों ने नारे लगाना शुरू कर दिया।
जय हिन्द!   भारत माता की  जय! हिन्दूमुस्लिम एक हों    और धक्कामुक्की की शुरुआत हो गई।



रॉटरे और गॉडफ्रे फॉब हाउस में मौजूदा हालात पर और व्यूह रचना के बारे में चर्चा कर रहे थे।
‘‘पूरी नौसेना को विद्रोह ने घेर लिया है। इस विद्रोह को हथियारों की सहायता से कुचल देना चाहिए। आज हालाँकि कांग्रेस और लीग विद्रोह से दूर हैं,  फिर भी इस विद्रोह को यदि जनता का समर्थन मिला तो कांग्रेस और लीग दूर न रह पाएँगे और फिर परिस्थिति और गम्भीर हो जाएगी...’’   रॉटरे स्थिति स्पष्ट कर रहा था।
हॉल का फ़ोन बजने लगा,   रॉटरे ने  फ़ोन उठाया।
''Yes, speaking.'
रॉटरे के चेहरे के भाव हर पल बदल रहे थे।
''What's the matter?'' गॉडफ्रे   ने   पूछा ।
‘‘सर,   बिअर्ड का फ़ोन है। कैसल बैरेक्स के सैनिक बेकाबू हो गए हैं। बड़ी तादाद में वे मेन गेट पर जमा हो गए हैं। वहाँ का अधिकारी Open fire  करने की इजाज़त माँग रहा है।’’   रॉटरे ने जवाब दिया।
गॉडफ्रे ने पलभर विचार किया,  सैनिकों को दहशत में रखना ही होगा।  वह अपने आप से पुटपुटाया। रॉटरे को उसने आदेश दिया,  ‘‘बिअर्ड से कहो,  यदि  जरूरत  पड़े  तो Open fire’ करो;  मगर तीन बार चेतावनी दो और उसके बाद ही फायर करो। एरिया कमाण्डर जेम्स स्ट्रीटफील्ड को कैसेल बैरेक्स जाने के लिए कहो। उसकी उपस्थिति में ही, जरूरत पड़ने पर, गोलीबारी की जाए।’’
सन्देश देकर रॉटरे ने फ़ोन रख दिया ।
फ़ोन फिर घनघनाया ।
‘‘रॉटरे।’’   रॉटरे ने जवाब दिया।
‘‘मैं तलवार  से खान बोल रहा हूँ। मुझे गॉडफ्रे से बात करनी है।’’  रॉटरे को खान पर गुस्सा ही आ गया। गॉडफ्रे के नाम का इस तरह, बिना किसी रैंक के,   उल्लेख करना उसे अच्छा नहीं लगा।
''Sir, Call for you.''
‘‘कौन है?’’
'That. bloody Khan, Leader of the mutineers.'' गॉडफ्रे ने फ़ोन लिया।
‘‘गॉडफ्रे,  हमें पता चला है कि कैसल बैरेक्स में सैनिक चिढ़ गए हैं। वे बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। यदि आपने कोई भी एक्स्ट्रीम   कदम उठाया तो सैनिक उसका अच्छाख़ासा जवाब देंगे। कैसेल बैरेक्स में गोलाबारूद और अस्त्रशस्त्रों का स्टॉक है यह न भूलिए। अगर आपने पाँचपच्चीस सैनिकों को निशाना बनाया तो वे दोचार ज्यादा ही गोरों को निशाना बनाएँगे।
‘‘मगर हम खूनखराबा नहीं चाहते। मैं और मेरे साथी उन्हें शान्त कर सकेंगे - ऐसा हमें विश्वास है। तुम हमें तलवारसे निकलने दो;  इस सम्बन्ध में वहाँ के पहरेवाले अधिकारियों को सूचना दो।’’  खान ने परिणामों की कल्पना दी।
‘‘ठीक है। तुम कोशिश करो। यदि तुम कामयाब न हुए तो फिर परिणामों की परवाह किये बिना हम...’’  गॉडफ्रे ने कहा।




खान जब कैसल बैरेक्स के मेन गेट पर पहुँचा तो सैनिक हाथापाई पर उतर आए थे। खान को देखते ही उनका उत्साह दुगुना हो गया, नारे बढ़ गए। खान उन्हें शान्त करने की कोशिश कर रहा था मगर कोई सुनने के लिए तैयार ही नहीं था।
‘‘दोस्तो! हम कल सुबह चर्चा करेंगे। इस पहरे को उठाने के लिए रॉटरे और गॉडफ्रे पर दबाव डालेंगे;  इन सैनिकों को हटाने पर मजबूर करेंगे। प्लीज़ तुम लोग बैरेक्स में वापस जाओ।’’    खान उन्हें मना रहा था।
‘‘हमने आज तक अहिंसा के मार्ग का अनुसरण किया,   मगर हमेशा अहिंसा का जाप करने वालों ने हमें नहीं अपनाया। 1942 के आन्दोलन में सारे नेताओं को गिरफ्तार किया गया,  और फिर आज़ादी के लिए उन्होंने पुलों को उड़ा दिया,  पुलिस स्टेशन्स को आग लगा दी,  खज़ाने लूट लिये, रेलवे को उड़ा दिया... उन्हें भी कांग्रेस में जगह मिल गई,  मगर हमें कोरी सहानुभूति भी नहीं! नहीं। बस, अब तो हद हो गई। हम शान्त नहीं रहेंगे।’’   हरिचरण चिल्लाकर बोला ।
‘‘नहीं, नहीं, अब चुप बैठने का कोई मतलब नहीं है। उठो,  तोड़ दो उस गेट को...’’  धरमवीर  चीखा  और  सैनिक आगे बढ़े। खान समझ गया कि सैनिक भड़क उठे हैं। उनके मन की आग अब बुझेगी नहीं।
गेट के बाहर कमाण्डर जेम्स स्ट्रेटफील्ड खड़ा था। अपने हाथ में पकड़े 'Drastic Action'  सम्बन्धी आदेश को दिखाते हुए वह चिल्लाया, ‘‘मैं तुम्हें दो मिनट का समय देता हूँ,  अगर दो मिनटों में तुम पीछे नहीं हटे तो मैं तीन तक गिनती करूँगा और फिर ये आर्मी के सैनिक गोलीबारी शुरू कर देंगे। मैं तुम्हें पक्का बता देता हूँ,  तुम्हारा आखिरी सैनिक गिरने तक ये गोलीबारी जारी रहेगी। इस खूनखराबे और  हिंसा के लिए सिर्फ तुम लोग ही ज़िम्मेदार होगे!’’
‘‘दोस्तो! पीछे आओ!’’   खान विनती कर रहा था। ‘‘सरकार को एक बहाना मिल जाएगा कि सैनिकों के गैर ज़िम्मेदाराना बर्ताव के कारण उन्हें गोलीबारी करनी पड़ी। एक बार अगर हिंसा शुरू हो गई तो वह रुकेगी नहीं। इसलिए पीछे हटो!’’   खान रुआँसा हो गया था।
‘‘गोलीबारी की धमकी किसे दे रहा है?’’  धरमवीर ताव से आगे आकर जेम्स पर चिल्लाया,  ‘‘तुम्हारे पास गोलियाँ हैं, मगर हमारे पास तोप के गोले हैं। अगर एक भी गोली चली तो बन्दरगाह के सारे जहाजों और तलों की तोपें आग उगलने लगेंगी और इस देश के सारे गोरे बन्दर तड़ी पार हुए बिना शान्त नहीं होंगी ।’’
जेम्स की चेतावनी और खान की विनतियों का सैनिकों पर ज़रा भी परिणाम नहीं हुआ था।  उनकी चिल्लाचोट बढ़ती जा रही थी।

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